10th Class Hindi Abhinav Manushya Poem Notes| दसवीं कक्षा अभिनव मनुष्य कविता का नोट्स 

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10ನೇ ತರಗತಿ ಅಭಿನವ ಮನುಷ್ಯ ಹಿಂದಿ ನೋಟ್ಸ್

कवि का नाम: रामधारी सिंह ‘दिनकर’

काल: : सन् 1904 – सन् 1974

स्थल: : बिहार प्रांत का मुंगेर जिला

कृति: हुँकार, रेणुका, रसवंती, सामधेनी, धूप-छाँह, कुरुक्षेत्र, बापू, रश्मिरथि ‘अभिनव मनुष्य’ पद्यभाग ‘कुरुक्षेत्र’ से लिया गया है।

अभिनव – नया, नवीन, आधुनिक, ಹೊಸದು, ಆಧುನಿಕ

वारि – जल, ನೀರು

भाष्प – vapour,ಆವಿ

हुक्म – आज्ञा, ಆಜ್ಞೆ, ಆದೇಶ

व्यवधान – परदा, रुकावट, ವ್ಯವಧಾನ, ತಾಳ್ಮೆ

सरित् – नदी, सरिता, ನದಿ, ನೀರು

सिंधु – सागर, समुद्र, ಸಾಗರ, ಸಮುದ್ರ

आलोक – प्रकाश, ಪ್ರಕಾಶ, ಬೆಳಕು

ज्ञेय- जानकारी,ವಿಷಯದ ಜ್ಞಾನ

श्रेय – यश,ಯಶಸ್ಸು

ल्याण – मंगल, ಒಳ್ಳೆಯದು

1. आज की दुनिया कैसी है?

उत्तर : आज की दुनिया विचित्र और नवीन है।

2. मानव के हुक्म पर क्या चढ़ता और उतरता है?

उत्तर: मानव के हुक्म पर पवन का ताप चढ़ता और उतरता है।

3. परमाणु किसे देखकर काँपते हैं?

उत्तर: परमाणु मानव के करों को देखकर काँपते हैं।

4.’अभिनव मनुष्य’ कविता के कवि का नाम लिखिए ।

उत्तर:’अभिनव मनुष्य’ कविता के कवि का नाम रामधारी सिंह दिनकर है।

5.आधुनिक पुरुष ने किस पर विजय प्राप्त कीं है?

उत्तर: आधुनिक पुरुष ने प्रकृति पर विजय प्राप्त की है।

6. नर किन-किनको एक समान लाँघ सकता है?

उत्तर: नर नदी, सरिता और सागर को एक समान लाँघ सकता है।

7.आज मनुज का यान कहाँ जा रहा है?

उत्तर: आज मनुज का यान गगन में जा रहा है।

1.’प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन’ इस पंक्ति का आशय समझाइए ।

उत्तर: ‘प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन’ इस पंक्ति का आशय है कि आज के मानव ने प्रकृति के हर तत्व पर विजय प्राप्त कर ली है। और वह उस पर सवार है।

2.दिनकर जी के अनुसार मानव का सही परिचय क्या है?

उत्तर: दिनकर जी के अनुसार मानव-मानव के बीच स्नेह, दूसरे मानव से प्रेम का रिश्ता जोड़कर आपस की दूरी को मिटाता है वही मानव कहलाने का अधिकारी है। यही मानव का सही परिचय है।

3. इस कविता का दूसरा कौन सा शीर्षक हो सकता है? क्यों ?

उत्तर: इस कविता का दूसरा शीर्षक ‘आधुनिक पुरुष’ हो सकता है क्योंकि मनुष्य ने प्रकृति के हर एक क्षेत्र में अपना हक जमाया। वह आकाश से पाताल तक पहुँच रहा है। लेकिन मानव का मानव के बीच स्नेह को भुला रहा है।

यह मनुज, जो सृष्टि का श्रृंगार, ज्ञान का, विज्ञान का, आलोक का आगार। व्योम से पाताल तक सब कुछ है इसे श्रेय।

उत्तर: इस पद्म में कवि कह रहे हैं कि यह मनुष्य जिसने प्रकृति का श्रृंगार किया, ज्ञान, विज्ञान का प्रकाश सारे जगह फैलाया। आकाश से पाताल तक विजय प्राप्त करना मनुष्य की साधना है। पर उसने मानव को न पहचाना। अपने भाईचारे को नहीं समझा।

उदाहरण : नवीन आसीन

  1. भाप – ताप
  2. व्यवधान – समान
  3. श्रृंगार – आगार
  4. श्रेय – ज्ञेय
  5. जीत -प्रीत
  1. आज की दुनिया……………………..का ताप ।

उत्तर: आज की दुनिया विचित्र, नवीन प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन । है बँधे नर के करों में वारि, विद्युत्, भाप हुक्क पर चढ़ता-उतरता है पवन का ताप ।

उत्तर 1. दुनिया – संसार, विश्व

2. विचित्र – अजीब, अपूर्व

3. नवीन – आधुनिक, नया

4. नर – मानव, मनुष्य

5. वारि – जल, पानी

6. कर – हाथ, हस्त

7. आगार – आकर, निधि

1.आज X कल

2. नवीन X प्राचीन

3. पुरुष X स्त्री

4. नर X नारी

5. चढ़ता X उतरता

6. समान X असमान

7. ज्ञान X अज्ञान

8. जीत X हार

9. असीमित X सीमित

10. तोड़ X जोड़

जैसे : सभी जगहों में -सर्वत्र

1.आसन पर बैठा – आसीन हुआ

2.बचा हुआ – संचित

3. मनु की संतान – मानव, मनुज

4. विशेष ज्ञान – विज्ञान

5. अधिक विद्या प्राप्त – विद्वान

1.गिरि : पहाड़ :: वारि : जल

2. पवन : वायु :: सिंधु : सागर

3. जमीन : आसमान :: आकाश : पाताल

4. नर : आदमी :: उर : हृदय

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