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1.कवि परिचय :-
- कवि का नाम – भगवतीचरण वर्मा
- काल – 1903-1981
- स्थल – उन्नाव जिले (उ.प्र.) का शफीपुर गाँव
- कृति – उपन्यास : चित्रलेखा, भूले बिसरे चित्र, अपने खिलौने, पतन, तीन वर्ष, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, युवराज चूड़ा कहानी संग्रह : मेरी कहानियाँ, मोर्चाबंदी, संपूर्ण कहानियाँ, कविता संग्रह : मेरी कविताएँ, सविनय और एक नाराज कविता, नाटक : मेरे नाटक, वसीयत,
- प्रशस्ति – साहित्य अकादमी पुरस्कार
2.शब्द अर्थ:-
- शायित – सोया हुआ, ಮಲಗಿರುವ
- अमर – मृत्युहीन, जो कभी नहीं मरता, ಅಮರರಾಗಿರುವ
- हस्त – हाथ, ಕೈ, ಕರ
- सुहाने – सुंदर, ಸುಂದರವಾದ, ಚೆನ್ನಾಗಿರುವ
- धाम – घर , ಮನೆ, ವಾಸಸ್ಥಳ
- गूँजना – प्रतिध्वनित होना , ಪ್ರತಿಧ್ವನಿಸುವ
- उर – हृदय, ಹೃದಯ
3. अभ्यास
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए:
1. कवि किसे प्रणाम कर रहे है ?
उत्तर :- कवि मातृभूमि को प्रणाम कर रहे है।
2. भारत माँ के हाथों में क्या है ?
उत्तर :- भारत माँ के एक हाथ न्याय पताका और दूसरे हाथ में ज्ञान दीप है।
3. आज माँ के साथ कौन है ?
उत्तर :- आज माँ के साथ कोटि-कोटि लोग है।
4. सभी ओर क्या गूँज उठा है ?
उत्तर :- सभी ओर जय हिंद का नाद गूंज उठा है।
5. भारत के खेत कैसे है ?
उत्तर :- भारत के खेत हरे-भरे और सुहाने है।
6. भारत भूमि के अंदर क्या-क्या भरा हुआ है ?
उत्तर :- भारत भूमि के अंदर खनिज संपदा भरी हुई है।
7. सुख-संपत्ति, धन-धाम को माँ कैसे बाँट रही है ?
उत्तर:- सुख संपत्ति, धन-धाम को माँ खुले हाथों से बाँट रही है।
8. जग के रूप को बदलने के लिए कवि किससे निवेदन करते है ?
उत्तर:- जग के रूप को बदलने के लिए कवि भारत के असंख्य लोगों से निवेदन करते है।
9. जय हिंद का नाद कहाँ-कहाँ पर गूंजना चाहिए ?
उत्तर :- जय हिंद का नाद सभी नगरों और गाँवों पर गूंजना चाहिए ।
II. दो तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:
1. भारत माँ के प्रकृति – सौंदर्य का वर्णन कीजिए ।
उत्तर :- भारत माँ के प्रकृति-सौंदर्य का वर्णन कवि ने इस प्रकार किया है। यहाँ हरे-भरे खेत-खलिहान, फूल-फूलों से लदे उपवन, वन आदि हैं। इस धरती में खनिजों की अपार संपदा है । यह धरती सुख-संपत्ति और धन-धान्य से भरी हुई है ।
2. मातृभूमि का स्वरूप कैसे सुशोभित है ?
उत्तर: मातृभूमि अपने एक हाथ में न्याय का झंड़ा और दूसरे में ज्ञान का दीप लिए सबको सही रास्ते पर चलने को प्रेरित कर रही है। उसके हृदय में अनेक महान विभूतियों का वास है। वह अपनी गोद में पले बच्चों को परस्पर सहयोग से रहने के लिए प्रेरणा दे रही है ।
III. अनुरूपता :
- वसीयत : नाटक :: चित्रलेखा : उपन्यास
- शत-शत : द्विरुक्ति :: हरे-भरे हैं : खेत-सुहाने ।
- बायें हाथ में : न्याय पताका :: दाहिने हाथ में : ज्ञान-दीप
- हस्त : हाथ :: पताका – झंड़ा ।
IV. जोड़कर लिखिए :
‘अ’ भाग ‘ब’ भाग
1) तेरे विश्व में शायित अ) वन-उपवन
2) फल-फूलों से युत आ) आज साथ में
3) एक हाथ में इ) कितना व्यापक
4) कोटि-कोटि हम ई) शत-शत बार प्रणाम
5) मातृ-भू उ) न्याय-पताका ।
ऊ) गाँधी, बुद्ध और राम
उत्तर : 1) ऊ, 2) अ, 3) उ, 4) आ, 5) ई
V. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए ।
1. कवि मातृभूमि को………….बार प्रणाम कर रहे हैं। (शत-शत)
2. भारत माँ के उर में गाँधी, बुद्ध और राम………… हैं। (सोए/शायित)
3. वन, उपवन………. से युक्त है। (फल-फूलों)
4. …………हस्त से मातृभूमि सुख-संपत्ति बाँट रही हैं। (मुक्त)
5. सभी ओर……….. का नाद गूंज उठे। (जय-हिन्द)
VI. भावार्थ लिखिए ।
एक हाथ में न्याय पताका
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में,
जग का रूप बदल दें, हे माँ
कोटि-कोटि हम आज साथ में
गूँज उठे जय हिन्द नाद से
सकल नगर और ग्राम
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम ।
उत्तर :- इन पंक्तियों को ‘मातृभूमि’ पद्य से लिया गया है। इस कविता के कवि श्री भगवती चरण वर्मा हैं। इन पंक्तियों में कवि ने बताया है कि मातृभूमि एक हाथ में न्याय का झंड़ा और दूसरे में ज्ञान का दीप लेकर सबको सही रास्ते पर चलने को प्रेरित कर रही है। वह अपनी गोद में पले बच्चों को परस्पर सहयोग से एकता के भाव से जीने की कला सिखा रही है। देश के सभी लोग एक साथ ‘जय हिन्द’ का नारा लगाते हुए आगे बढ़ते हुए नगर और ग्राम तक पहुँचे। हे मातृभूमि ! तुम्हें सौ-सौ बार प्रणाम ।
VII. पद्य भाग को पूर्ण कीजिए ।
हरे-भरे है खेत सुहाने
फल-फूलों से युत वन-उपवन
तेरे अंदर भरा हुआ है
खनिजों का कितना व्यापक धन ।
मुक्त-हस्त तू बाँट रही है
सुख-संपत्ति, धन-धाम
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम ।